मध्यप्रदेश में ओसत से कम बारिश होने के कारण सोयाबीन की पैदावार में कमी की संभावना हो गई आगामी दिनों में जाने तो मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में अगस्त महीने में भी सूखा साबित हुआ जबकि माना जाता हे की इन महीने में सबसे अधिक बारिस होती हे जबकि देखा जाये तो अगले 4 से 5 दिनों तक कोई बारिश नहीं बताई गई हे |
mosam Alert Today – मौसम वैज्ञानिकों का कहना कि अभी अगले तीन-चार दिन तक कोई बारिश की संभावना नहीं है जिसके चलते किसानों की चिंता और बढ़ती जा रही हैं बारिश ना होने के कारण सूखा होने से और बहुत तेज धूप होने के कारण ऊष्मा गर्मी से इल्लियों एवं कीटनाशक की संख्या बढ़ती जा रही है | मध्यप्रदेश के 32 जिलों में औसत बारिश और 7 से 8 जिलों में सूखे की स्तिथि हे |
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अगस्त महीने की शुरवात से ही तेज बारिश नहीं हुई है। ऐसा ही अगला एक सप्ताह भी रहेगा। बारिश नहीं होने से औसत बारिश का आंकड़ा तेजी से कम हो रहा है। बारिश के आंकड़ों में पश्चिमी हिस्सा पिछड़ गया है। पूर्वी हिस्सा भी पिछड़ने लगा है। सीजन में पहली बार पश्चिमी हिस्से में बारिश का आंकड़ा 2% कम हो गया है। यहां मध्य्प्रदेश के 31 जिलों में अब तक 21.23 इंच बारिश होना चाहिए थी, जबकि 20.78 इंच बारिश हुई है। दूसरी ओर, ओवरऑल बारिश का आंकड़ा अब 1% ही ज्यादा है। पूर्वी मध्यप्रदेश में औसत से 4% अधिक और पश्चिमी हिस्से में औसत से 2% कम बारिश दर्ज की गई है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मानसून प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश नरसिंहपुर में हुई है। यहां अब तक हुई बारिश का आंकड़ा 35 इंच से ज्यादा है। सिवनी-मंडला में 32 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है।8 जिलों में सामान्य से 23 से 29 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज हुई है।52 जिलों में से सिर्फ सात जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज हुई है।
किन जिलों में बारिश कम या ज्यादा
प्रदेश के सतना, अशोकनगर, बड़वानी, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन, मंदसौर और मुरैना में कम बारिश हुई है। यहां आंकड़ा 16 इंच को भी नहीं छू सका है।बालाघाट, कटनी, निवाड़ी, पन्ना, उमरिया, बैतूल, भिंड, देवास, हरदा, रतलाम, सीहोर और विदिशा में बारिश का आंकड़ा 24 इंच के पार पहुंच गया है।इंदौर, जबलपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, सागर, शहडोल, नर्मदापुरम और रायसेन में 28 इंच से अधिक बारिश हो चुकी है।
मध्यप्रदेश के इंदौर, उज्जैन और भोपाल संभाग के हिस्सों में पिछले 10 से 15 दिन में अच्छी बारिश नहीं हुई है। सोयाबीन या दलहनी फसलें हैं, उनमें पानी की कमी की वजह से पत्ते पीले पड़ सकते हैं या फिर फफूंद की स्थिति देखने को मिल सकती है। ऐसे में किसानों को फसलों की देखरेख करने की जरूरत रहेगी।किसान चिंता में पड़ गये | कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो खरीफ की सभी फसलों को काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है। तापमान बढ़ने से सोयाबीन-दलहनी जैसी फसलों पर संकट खड़ा हो सकता है। पौधों पर कीट अटैक और फफूंद लगने की आशंका है।
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