सरकार बफर स्टॉक से देसी चना बेच रही है, लेकिन वह भी इस बार ऊंचे भाव होने से प्राइवेट सेक्टर का चना तेज चल रहा है | एक साथ आई तेजी के बाद थोड़ा करेक्शन आ गया है, लेकिन इसके भाव 6500 रुपए प्रति क्विंटल बनने की संभावना दिखाई दे रही है | एक साथ ही तेजी के बाद मुनाफा वसूली बिकवाली चलने से बाजार 150 रुपए टूट गया है इस करेक्शन के बाद फिर बाजार तेज होने की संभावना | इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थानी चना 6500 रुपए प्रति क्विंटल नवरात्रि से पहले बन सकता है |
देसी चने का उत्पादन
देसी चने का उत्पादन इस बार मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक सहित सभी उत्पादक राज्यों में 27-28 प्रतिशत कम रह जाने का व्यापारिक एवं किसानों का अनुमान आ रहा है | इसका मुख्य कारण यह है कि गत 3 वर्षों से देसी चने में मंदा चलने से किसानों का रुझान इसकी बजाय मटर व मसूर की खेती में ज्यादा हो गयी हे | बिजाई रकबा घट गया है | दूसरी ओर प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी कम रहा है | महाराष्ट्र में बिजाई कम होने के साथ-साथ 7 प्रतिशत उत्पादकता कम रही है, मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, सागर लाइन में भी फिल्ड 4 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर कम आया हैं, ग्वालियर सतना जबलपुर लाइन में सामान्य हुई है, लेकिन वहां बिजाई कम होने से आवक कम हो रही है, राजस्थान में बिजाई कम होने से सकल उत्पादन में भारी कमी हुई है, उसमें दाने छोटा रह गए थे, क्योंकि फसल तैयार होने पर मौसम प्रतिकूल रहा है | दूसरी ओर वहां भी बिजाई रकबा 32 प्रतिशत कम हुई थी | इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए 110 लाख मैट्रिक टन से घटकर 70 लाख मीट्रिक टन रह गया है |
सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य
सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है तथा अप्रैल-मई के महीने में सरकार किसानों से देसी चना 16 लाख मीट्रिक टन के करीब किया था, ऐसा अनुमान है | इस वजह से उत्पादक मंडियों में भी किसानी चने की आवक घट गई है तथा दाल मिलें माल की कमी से खरीद करने लगे हैं, जिससे एक सप्ताह के अंतराल 5200 / 5250 रुपए प्रति क्विंटल का इंदौर लाइन में 5500/5525 रुपए लूज में बोलने लगे हैं। टेंडर का सरकारी चना 5600/5625 रुपए मंडियों में बिकने लगे हैं, जिस कारण यहां भी राजस्थानी चना, जो 10 दिन पहले 5850 रुपए बिका रहा था, उसके भाव 6150 रुपए बिक चुका है तथा कुछ कारोबारी 6200 रुपए भी बोल गए थे | सरकार द्वारा देसी चने की बिक्री की जा रही है, लेकिन पड़ते के अभाव में ज्यादा मंदा बेचने की इच्छुक नहीं है |
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