प्रदेश के कई जिलों में किसानों के उम्मीद टूटी हुई दिखाई दे रही है | अलनीनो के प्रभाव को देखते हुए बारिश न होने से सोयाबीन की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है | प्रदेश में बहुत सारे किसानों ने परेशान होकर बारिश की आस छोड़ दी है जिसके चलते बहुत सारे किसान अपने खेत में रोटावेटर चला कर फसल को काट रहे हैं |
सोयाबीन सूखने से किया रोटावेटर
बारिश की कमी को देखते हुए सोयाबीन की फसल मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्र में लगभग नस्ट होने लगी है | नस्ट होने के कारण सोयाबीन की फसल लगभग सूखने लगी है | जिसको देखते हुए सोयाबीन किसानो को सोयाबीन की फसल कटाई का खर्च भी महंगा पड़ रहा है जिस कारण से सोयाबीन किसान प्रदेश में रोटावेटर से फसल की कटाई कर रहे है |
भारत में रहेगा अलनीनो का प्रभाव
एक विदेशी कंपनी के अनुसार भारत में दिसंबर 2023 से फरवरी 2024 तक अलनीलो पिक पर यानी 95% रह सकता है|पहले जून में मानसून लेट आने से किसानों को दुखी किया था वैसे ही जुलाई में वापस बारिश शुरू हुई और किसानों की खुशियां लोटी परन्तु अगस्त में बारिश न होने से किसान हुआ यह बेबस है और अब अल निलो का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है |
सोयाबीन पर पड़ेगा प्रभाव
अगले 10 से 15 दिन में बारिश नहीं हुई तो सभी ग्रीष्मकालीन फसल धान मक्का जवाहर तुवर उड़द मूंग कपास सोया मूंगफली तिल अरंडी गवार कपास गन्ना सोयाबीन के उत्पादन पर पड़ सकता है ज्यादा प्रभाव और जो थोड़ी बहुत उम्मीद बची हे वो भी टूट जाएगी | इसके चलते किसानो के लिए परेशानी का दौर चल रहा हे साथी विदेशी मौसम विभाग की बात सही निकली तो दिसंबर 2023 से फरवरी 2024 तक जब रबी फसलों को पानी चाहिए तब बारिश नहीं होगी, जिसके चलते अगली फसलों का क्या होगा इससे किसान और भी परेशान हे |
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बारिश न होने से
अगर खरीफ सीजन में बारिश कम पड़ी तो रबी फसल बुवाई के दौरान नमी की कमी से हो सकती है प्रभावित रबी फसलों को भी अल नीलो असर से जूझना पड़ सकता है |यह स्थिति नहीं अन्नदाता यानी किसानों के लिए अच्छी नहीं है | इसके चलते फसलों के दामों में ज्यादा तेजी देखने को मिल सकती हे |