लम्बे समय से प्रदेश में बारिश नहीं होने से खेतों में खड़ी फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हालात यहां तक बदतर हो गए हैं कि पौधों में मौजेक वायरस व इल्ली लग गई है। पौधे में लगी सोयाबीन की फलियां तक सूखने लगी हैं। खेतों में खड़ी फसलें पीली पड़ गई है। जिससे किसानो को अल्पवर्षा की वजह से किसानों को काफी नुकसान होने की आशंका है। बारिश नहीं होने पर किसानों को राहत प्रदान करते हुए प्रदेश के कुछ जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाना चाहिए |
बारिश की लम्बी खेंच से पड़ा प्रभाव
पिछले वर्ष अतिवृष्टि और इस वर्ष हुई अल्प वर्षा ने किसानों के सपने चकनाचूर कर दिए हैं। प्रकृति का मारा किसान कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। किसानों को न तो सरकार की ओर से और न ही बीमा कम्पनी राहत दे रही है। इस बार पैदावार अच्छी होने की उम्मीद जगी थी। खरीफ की प्रमुख सोयाबीन फसल पर पीला मौजेक रोग का जबरदस्त आक्रमण हुआ है। इल्ली के प्रकोप तथा वायरस से पकाने से पूर्व ही फलियां सूखने लगीं हैं। गत वर्ष की राहत राशि, फसल बीमा और न ही मुआवजा अब तक मिला। प्रकृति और सरकार का मारा किसान बर्बादी की कगार पर आ गया है। सरकार और प्रकृति के आगे किसान मजबूर और ठगा सा खड़ा है। खरीफ की फसल सोयाबीन, उड़द, मूंगफली, मक्का आदि फसलों में जबरदस्त पीला मौजेक वायरस व अन्य रोगों लगे हैं। ऊपर से बारिश नहीं होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।
मालवा क्षेत्र हो सकता है सूखाग्रस्त
अल्पवर्षा के कारण मालवा का अन्नदाता खून के आंसू रो रहा है। सोयाबीन सहित अन्य फसलें सूख गई है। प्रदेश की भाजपा सरकार और खुद को किसान पुत्र कहने वाले शिवराजसिंह चौहान को अब किसानों की पीड़ा नहीं दिखाई दे रही है। बारिश की खेंच से सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलें बर्बाद हो गई हैं। फसलों का जीवन बचाने जितना पानी कुओं में भी नहीं भरा है। खून पसीने की कमाई और कठोर परिश्रम से किसान ने खेत मे खुद को झौंक दिया है। पानी की कमी के कारण रबी फसल के भी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।