मध्यप्रदेश के खेतों में सोयाबीन उड़दऔर मक्का की फैसले लहरा रही है | इसके बावजूद किसानो में फसल की चिंता दिखाई दे रही हैं | किसानो की सलाह के मुताबिक यह समय फसलों के पकने का सबसे नाजुक समय है | अगले 10 दिन पानी नहीं गिरा तो फसल हो सकती हे नष्ट या तो फसल कमजोर रह सकती हे | किसानो के मुताबिक एक बीघा में 4-5 क्विंटल सोयाबीन नहीं निकली तो बहुत भरी नुकसान होगा | किसानो ने बताया कि आज की स्थिति को देखते हुए एक बीघा में 2-3 क्विंटल सोयाबीन ही हो सकती हे |
मौसम की बेरुखी
बारिश ने दूसरा ब्रेक ऐसे समय में लिया है, जब सोयाबीन, उड़द ,धान और मक्का को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। मौसम विभाग ने आशंका के अनुसार अब 7 सितंबर के बाद ही मानसून दोबारा मानसून सक्रिय हो सकता हे | अगर बारिश इतने समय तक रुकी रही तो फसलों की उत्पादकता में बुरी तरह प्रभावित हो सकती है | अगस्त माह के दौरान औसत से 200 मिमी कम बारिश हुई है | 21वीं सदी में यह तीसरा मौका है, जब सावन के अगस्त माह में बारिश नहीं हो पाई है |
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इस वर्ष का सबसे सूखा मौसम
अगस्त माह के दौरान 200 मिमी से कम बारिश हुई है | पिछला सबसे सूखा साल 2005 का था | तब अगस्त में 100 मिमी बारिश भी नहीं हुई थी | जबकि इस साल अब तक जिले में औसत 115 मिमी बारिश दर्ज हुई है | मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल ऐसा कोई सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिससे कि अच्छी बारिश की संभावना बने | अच्छी बारिश की स्थिति 7 सितंबर के बाद बन सकती है |इस समय फसलों में दाना आने का समय है | इसमें पानी की जरूरत पड़ती है | हालांकि मौसम विभाग ने 5-6 दिन में बारिश को संभावना जताई जा रही है | किसानों को अपने संसाधनों से सिंचाई प्रारम्भ कर दी गयी हे | एक हफ्ते बाद स्थिति साफ हो जाएगी कि खरीफ सीजन में उत्पादन की स्थिति कैसी रहेगी |
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फसलों में लागत निकलना मुश्किल
किसानो के द्वारा बोई गयी सोयाबीन की फसल की लागत निकलना भी मुश्किल हे | कही राज्यों में फसल नष्ट हो गयी हे | इस बार सबसे ज्यादा मार सभी फसल पर पड़ी है | किसानो के अनुसार बीते 10-15दिन से वे अपनी फसलों की सिचाई कर बचाए हुए हैं | इससे लागत बढ़ रही है | वहीं उत्पादन घट गया तो इस बार लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा | इसी तरह मक्का अब तक तो बहुत उम्मीद रही है। लेकिन अगर बारिश न हुई तो यह भी नुकसान देकर जाएगी |